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ग्रामीण गरीबी तथा बेरोजगारी से उत्पन्न दयनीय स्थिति को देखते हुए उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सन् 2005 मे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 का उदय हुआ, जिसे आज हम मनरेगा के नाम से जानते हैं। इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम ’’राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005‘‘ हैं। इसका विस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय सम्पूर्ण भारत पर हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 देश का पहला अधिनियम है जो ग्रामीण क्षेत्र के निवासियों को गाँव में ही रोजगार उपलब्ध कराता है। फरवरी 2006 से लागू इस अधिनियम के तहत् ग्रामीण क्षेत्रांे के प्रत्येक परिवार को कम से कम 100 दिन का शारीरिक श्रम युक्त रोजगार पाने का अधिकार है। यह उल्लेखनीय है कि गांधी जयंती (2 अक्टूबर, 2009) के अवसर पर केन्द्र सरकार ने यह निर्णय लिया कि इस अधिनियम को महात्मा गांधी के नाम से जोड़ा जाए। अब नरेगा ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम‘ के नाम से जाना जा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम‘ ने लगा। अकुशल शारीरिक श्रम से कोई कार्य अभिप्रेत है जिसे कोई वयस्क पुरूष या महिला किसी कौशल या प्रशिक्षण के बिना भी करने में समर्थ हो। मनरेगा कुछ ऐसे बिंदुओं पर बल देता है जो काम के अधिकार को व्यापक स्तर पर चरितार्थ करता है।
भारत एक प्राचीन तथा विशाल देश है, पिछले लगभग 70 वर्षो के पश्चात् यहांॅ जनसंख्या की स्थिति विस्फोटक हो चुकी है। बढ़ती जनसंख्या का सर्वाधिक नकारात्मक पहलु बढ़ती गरीबी है। सरकार की वृहद योजना मनरेगा जो पूरे भारत में कार्यरत है, जिसके द्वारा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी, गरीबी, पलायन तथा असमानता जैसी मूलभूत समस्याओं का निकारण किया जा रहा है। इस योजना के तहत भारत के 6 लाख से अधिक गॉवों में न केवल वयस्क पुरूषों का अपितु महिलाओं तथा विकलांगो को भी रोजगार के अवसर निरंतर उपलब्ध कराये जा रहे है, जिससे गॉव से शहर की ओर हो रहे पलायन पर अंकुश दिखाई देता है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने वन क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवारों को मनरेगा के तहत 150 दिनों का रोजगार देने का निर्देश जारी किया है। इस कदम से झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में लगभग आठ लाख लोग लाभान्वित होंगे। महात्मा गांधी राष्ट्रव्यापी ग्रामीण रोजगार आश्वासन अधिनियम के नीचे निर्धारित 125 दिनों के रोजगार के साथ, 50 दिन का रोजगार इन व्यक्तियों के लिए प्रासंगिक हो सकता है, जिन्हें वन अधिकार अधिनियम 2006 के नीचे संबंधित संविधान दिया गया है। उनमें से, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान और ओडिशा में लगभग आठ लाख विशेष व्यक्ति अधिकार पत्र दिए गए हैं।
Keywords:
मनरेगा, पुनर्निर्माण, गरीबी उन्मूलन, अधिनियम, आश्वासन, मूल्यांकन, सामाजिक बुनियाद, बेरोजगारी।
Cite Article:
"भारत की गरीबी के उन्मूलन में मनरेगा का योगदान: एक भौगोलिक अध्ययन", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijrti.org), ISSN:2455-2631, Vol.9, Issue 8, page no.136 - 140, August-2024, Available :http://www.ijrti.org/papers/IJRTI2408021.pdf
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ISSN:
2456-3315 | IMPACT FACTOR: 8.14 Calculated By Google Scholar| ESTD YEAR: 2016
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