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भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति पर नजर डाले तो पता लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था है। क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व मेंसातवें स्थान पर है, जनसंख्या में इसका दूसरा स्थान है और केवल 2.4 प्रतिशत क्षेत्रफल के साथ भारत विश्व की जनसंख्या के 17 प्रतिशत भाग को शरण प्रदान करता है। 1991 से भारत में बहुत तेज आर्थिक प्रगति हुई है जबसे उदारीकरण और आर्थिक सुधार की नीति लागू कीगयी है और भारत विश्व की एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरकर आया है सुधारों से पूर्व मुख्य रूप में भारतीय उद्योगों और व्यापार पर सहकारी नियंत्रण का बोलबाला था और सुधार लागू करने से पूर्व इसका जोरदार विरोध भी हुआ परन्तु आर्थिक सुधारों के अच्छेपरिणाम सामने आने से विरोध काफी हद तक कम हुआ है । और एक बडा हिस्सा इन सुधारों से अभी भी लाभान्वित नहंी हुये है।
प्रस्तावना
शोध समस्या का चयन हम इस तथ्य को नजर अंदाज नही कर सकते है कि चीन और दुनिया के अन्य देशों में कोविड-19
के प्रकोप से वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी,व्यापार की आयात-निर्यात नीति, वस्तुओं और उत्पादन में कमी से अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पडने की उम्मीद है । आयात में चीन पर भारत की निर्भरता बहुत बडी है 20 उत्पादों में से जो भारत दुनिया से आयात करता है, उसमंे चीन एक महत्पूर्ण हिस्सेदारी रखता है भारत का कुल इलेक्ट्ानिक आयात यानी लगभग 45 प्रतिशत चीन पर निर्भर लगभग एक तिहाई मशीनरी और लगभग कार्बनिक रसायन जिन्हे भारत खरीदता है चीन से आते है मोटर वाहन और उर्वरकों के लिए भारत के आयात में चीन की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से अधिक है। लगभग 65 से 70 प्रतिशत सक्रिय फार्मास्ययुटिकल सामग्री और लगभग 90 प्रतिशत मोबाईल फोन चीन से आते है। इसलिए हम कह सकते है कि चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण, चीन पर आयात निर्भरता का भारतीय उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड सकता है परन्तु अब चीन मे हालात सुधर रहे है तो हो सकता है कि आने वाले समय में कुछ बदलाव देखने को मिले निर्यात मामले में चीन भारत का तीसरा सबसे बडा निर्यात साझेदार है और लगभग 5 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है इसका असर निम्नलिखित क्षे़त्रों मं भी हो सकता है जैसे कि जैविक रसायन,प्लास्टिक मछली उत्पाद,कपास इत्यादि । हम यह भी अनदेखा नहीं कर सकते है कि अधिकांश भारतीय कंपनिया चीन के पूर्वी भाग में स्थित है चीन मंे भारत की लगभग 72 प्रतिशत कंपनियॉ शंघाई,बीजिंग,ग्वांगदोग,जियाग्स और शानदोंग जैसे प्रांतों में स्थित है विभिन्न क्षेत्रों में ये कम्पनियां औद्योगिंक निर्माण विनिर्माण सेवाओं आईटी और बीपीओ, लॉजिस्टिक्स, रसायन, एयरलाइंस और पर्यटन सहित काम करती है अब वहा पर कोविड-19 को लेकर हालात सुधर रहे है और चीन फिर से ट््रेक पर आ रहा है कुछ विशेषज्ञांे अर्थशात्रियों और नीति निर्माताओं के अनुसार ये कुछ प्रभाव हो सकते हैः-
लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधि का नुकसानः-
ऽ लोगों को नौकरी खोने के कारण आय का नुकसान
ऽ वैश्विक बंद के कारण निर्यात में गिरावट
ऽ कई क्षेत्रों में उत्पादन में व्यवधान
नवीनतम अर्थव्यवस्था के पूर्वानुमान के अनुसार, मंदी की स्थिति में आने वाले देशों और दिवालिया होने
वाली कंपनियों में प्रवेश करने की संभावना बढ गई है। अरूण सिंह, मुख्य अर्थशास्त्री डन और ब्रैडस्ट््री इंडिया ने कहा चीन के अलावा अन्य वैश्रिवक विनिर्माण केन्द्रो में भी तालेबंदी की जा रही है जिससे वैश्रिवक आपूर्ति
श्रृखला और वैश्रिवक विकास में कमजोरी बढ सकती है।
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Cite Article:
"कोविड-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijrti.org), ISSN:2455-2631, Vol.8, Issue 5, page no.2429 - 2433, May-2023, Available :http://www.ijrti.org/papers/IJRTI2305246.pdf
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ISSN:
2456-3315 | IMPACT FACTOR: 8.14 Calculated By Google Scholar| ESTD YEAR: 2016
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