Scholarly open access journals, Peer-reviewed, and Refereed Journals, Impact factor 8.14 (Calculate by google scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool) , Multidisciplinary, Monthly, Indexing in all major database & Metadata, Citation Generator, Digital Object Identifier(DOI)
जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण विषय है, खासकर सीकर जिले जैसे क्षेत्रों में जहाँ सतही जल की कमी होती है। बावड़ी, झालरा, तालाब, नदी, टांका, कुंड आदि जल संचयन और पुनर्निर्माण के प्राचीन तरीके हैं जो इस क्षेत्र में प्रचलित हैं। साथ ही, आधुनिक तकनीकी विधियों जैसे क्यारी विधि, एनिकट, रिसाव तालाब, वाटर हार्वेस्टिंग, आदि भी जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन तकनीकों का प्रयोग करके जल की संरक्षण की दिशा में प्रगति की जा सकती है और सतही जल की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। जल संरक्षण के लिए आवश्यक है कि हम जल संचयन और प्रबंधन की दिशा में उत्तरदायित्वपूर्ण कदम उठाएं। इसके लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को साझा प्रयास करना चाहिए। साथ ही, जल संरक्षण की जागरूकता बढ़ाने के लिए लोगों को शिक्षित करना भी आवश्यक है। जल संरक्षण को लेकर सामुदायिक संगठनों को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए ताकि स्थानीय स्तर पर भी इससे जुड़े लोगों को जागरूक किया जा सके। विभिन्न तकनीकी और वैज्ञानिक उपायों का भी अधिक अनुसंधान और विकास किया जाना चाहिए ताकि जल संरक्षण के क्षेत्र में नई और अधिक प्रभावी तकनीकों का उपयोग किया जा सके।
अध्ययन क्षेत्र-
सीकर जिले की जलवायु अर्द्धषुष्क है, जिसमें वार्षिक वर्षा की औसत मात्रा 459.8 मिमी है। जनसंख्या के अनुसार, जिले की कुल जनसंख्या 2011 में 26,77,333 थी, और इसका जनसंख्या घनत्व 346 व्यक्तियों प्रति वर्ग किलोमीटर है। यहाँ जलवायु के अनुसार प्रायः समतल और मैदानी भूभाग है, जो राजस्थान के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। इसका उच्चतम बिंदु समुद्रतल से औसत 427 मीटर है। जिले के आस-पास झुन्झुनूं जिला, हरियाणा राज्य, जयपुर जिला, नागौर और चूरू जिले स्थित हैं। सीकर जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 7,742.44 वर्ग किलोमीटर है। सीकर जिले का भौगोलिक और जलवायु स्थिति, वहाँ की जल संसाधनों और कृषि पर भी असर डालती है। अर्धषुष्क जलवायु में वर्षा की कमी होने से कृषि उत्पादन पर असर पड़ता है। इस बात का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सीकर जैसे क्षेत्रों में जल संरक्षण और प्रबंधन की अधिक जरूरत होती है, ताकि जल संसाधनों का सही उपयोग हो सके और कृषि की संभावनाएं बढ़ सकें।
Keywords:
.
Cite Article:
"जल संरक्षणः सीकर जिले में परंपरागत और आधुनिक दृष्टिकोण", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijrti.org), ISSN:2455-2631, Vol.9, Issue 5, page no.107 - 112, May-2024, Available :http://www.ijrti.org/papers/IJRTI2405018.pdf
Downloads:
000205155
ISSN:
2456-3315 | IMPACT FACTOR: 8.14 Calculated By Google Scholar| ESTD YEAR: 2016
An International Scholarly Open Access Journal, Peer-Reviewed, Refereed Journal Impact Factor 8.14 Calculate by Google Scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool, Multidisciplinary, Monthly, Multilanguage Journal Indexing in All Major Database & Metadata, Citation Generator