Scholarly open access journals, Peer-reviewed, and Refereed Journals, Impact factor 8.14 (Calculate by google scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool) , Multidisciplinary, Monthly, Indexing in all major database & Metadata, Citation Generator, Digital Object Identifier(DOI)
डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने समाज में फैले जातिवाद और उसके उद्गम एवं स्वरूप की खोज करने के पश्चात् वे उनके समूल को समाप्त करना चाहते थे। उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य भी यही था कि जातिवाद को भट्ठी में डालकर उसको हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त किया जाए । उन्होंने कभी भी देश को जाति, धर्म, परंपरा जैसे वशिष्ठ एवं वाल्मीकि को आपस में लड़ाने का कार्य नहीं किया।आज के समय में दलित साहित्य एक ऐसी चुनौती के रूप में उभरकर कर हमारे सामने उपस्थित हो रहा है जिससे कोई नहीं बच पाएगा।
देश-विदेशों में रहने वाली जनता जो परंपरागत सैद्धांतिकी में रहने लगे (व्यस्त) हैं, ये सभी दलित साहित्य के सैद्धांतिकी को नहीं चाहते हैं।इस प्रकार दलित पैंथर और अंबेडकर जी दोनों में करारी टक्कर रही। मगर कुछ पार्टियों के लोगों ने दलित वर्ग के लिए कदम उठाए उनके जीवन के नेतृत्व में मजबूती प्रदान की। अंबेडकर जी के पश्चात रिपब्लिक पार्टी एक स्वतंत्र पार्टी के रूप में गठित पार्टी कहलाई। इस पार्टी की स्थापना 3 अक्टूबर 1957 में 'आल इंडिया शड्यूल कास्ट फाउंडेशन’ के अस्तित्व में आई।
डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने समाज में फैले जातिवाद और उसके उद्गम एवं स्वरूप की खोज करने के पश्चात् वे उनके समूल को समाप्त करना चाहते थे। उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य भी यही था कि जातिवाद को भट्ठी में डालकर उसको हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त किया जाए । उन्होंने कभी भी देश को जाति, धर्म, परंपरा जैसे वशिष्ठ एवं वाल्मीकि को आपस में लड़ाने का कार्य नहीं किया।
डॉ. अंबेडकर जी का मन बिल्कुल साफ था। वे कभी भी रंगभेद, नस्लवाद, अलगाववाद आदि नहीं चाहते थे। उनका मुख्य उद्देश्य था कि जो सवर्ण छल-कपट से काम करते थे विरोध हो । वह गोपाल गणेश के सात आदर्श को ग्रहण करके एवं महात्मा ज्योतिबा के सात आदर्श को अपनाना चाहते थे। इसके अलावा वे गौतम बुद्ध के करुणावाद को पक्षधर थे। उनकी जो लड़ाई आम आदमी के साथ थी। वे समाज में प्रेम भाव को बढ़ावा देना चाहते थे |
Keywords:
राजनीति, आदिवासी, रिपब्लिक, आंदोलन, साहित्यशास्त्र, सौन्दर्यशास्त्र, दलित अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, शिक्षा, विकास, सौहार्द, एकता, देश, समानता, बंधुत्व, जाति व्यवस्था
Cite Article:
"दलित और आदिवासी विमर्श एवं भारतीय समाज में डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान", International Journal of Science & Engineering Development Research (www.ijrti.org), ISSN:2455-2631, Vol.7, Issue 7, page no.1418 - 1423, July-2022, Available :http://www.ijrti.org/papers/IJRTI2207222.pdf
Downloads:
000204875
ISSN:
2456-3315 | IMPACT FACTOR: 8.14 Calculated By Google Scholar| ESTD YEAR: 2016
An International Scholarly Open Access Journal, Peer-Reviewed, Refereed Journal Impact Factor 8.14 Calculate by Google Scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool, Multidisciplinary, Monthly, Multilanguage Journal Indexing in All Major Database & Metadata, Citation Generator